26 बेटियों का कन्यादान करेगी,सिन्धु वेलफेयर सोसाइटी
बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर (आशा पटेल)। जयपुर में 1967 में पंजीकृत संस्था सिन्धु वेलफेयर सोसाइटी द्वारा रविवार 12 फरवरी, को गीता भवन, आदर्ष नगर, जयपुर में 22वां सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया जा रहा है जिसमें संस्था 26 बेटियों का कन्यादान करेगी। यह संस्था अब तक लगातार सफलतापूर्वक 21 सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन कर चुकी है। उल्लेखनीय है कि संस्था द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में हिन्दु धर्म की सर्वजातीय वर-वधु शामिल किये जाते है।
संस्था के महासचिव अशोक टेवानी ने बताया कि सामूहिक विवाह समारोह में होने वाला सारा खर्चा समाज के भामाशाहों के सहयोग से किया जाता है। इस सामूहिक विवाह का सारा कार्य संस्था के अध्यक्ष हरगुन आसनदास नेभनानी और संयोजक तुलसी संगतानी की देखरेख में किया जा रहा है। संस्था का उद्देष्य होता है कि सामूहिक विवाह समारोह में सम्मिलित होने वाली कन्या व वर पक्ष को किसी प्रकार की परेशानी नही हो। कन्या को मायके से मिलने वाली चुनरी के साथ-साथ शादी का भेस दुल्हे का सूट भी संस्था द्वारा ही दिया जाता है इसके अलावा ससूराल में बेटियों को परेशानी नही हो इसके लिए समाज के भामाशाहों से उपहार प्राप्त कर लगभग 150 से 175 उपहार (घरेलू सामान) भी उपहार स्वरूप प्रदान करती है, साथ ही राजस्थान सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह अनुदान योजना का लाभ भी सभी सहभागियों को दिलाना, विवाह प्रमाण-पत्र बनवाकर जरूरतमंद परिवारों को दिलाने में भी सहायता करती है।
यह संस्था समाज के हर जरूरतमंद परिवारों के सुख-दुख में हमेशा साथ रही है। यह संस्था जरूरतमंद परिवारों की परेशानी के समय प्रत्येक माह राशन सहायता, बीमारी के समय चिकित्सा सहायता, शिक्षा सहायता, ऊनी कपड़ो की सहायता, अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण के साथ-साथ उनकी खुशी में भी तन-मन-धन के साथ जुड़ जाती है। सामूहिक विवाह में होने वाली समस्त रस्मों को अपने निजी कार्य की तरह ही पूरा करती है। यही कारण है कि इस संस्था को जयपुर शहर या भारत देश से ही नही वरन् विदेशी भामाशाहों की तरफ से भी आगे से आगे बढ़कर सहयोग प्राप्त होता है। इस संस्था के कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं द्वारा ना अपनी उम्र देखी जाती है और ना ही संस्था के कार्यालय से निवास की दूरी, रोजाना पांच बजते ही कार्यालय खुल जाता है फिर चाहे कोई जरूरतमंद परिवार आवे या नही आवे, इनके द्वारा सेवा परमो धर्मः ’’मानवता की सेवा सर्वाेत्तम धर्म’’ को चरितार्थ करते हुए अपनी सेवा देना अपना धर्म समझा जाता है।