सम्पादकीय

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क्या आप और हम अच्छे व देशभक्त इंसान हैं ?

क्या आप और हम अच्छे व देशभक्त इंसान हैं ?

ये क्या हो रहा है हमारे देश में ?

कुछ लोग संघ मुक्त भारत बनाने में जुटे हैं,कुछ कांग्रेस मुक्त भारत बनाने में दिन रात एक किए हुए हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो संघ और कांग्रेस दोनों से मुक्त भारत का सपना देख रहें हैं परन्तु इन सभी के पास शायद समस्या मुक्त भारत बनाने का वक्त ही नहीं है। जबकि समस्या मुक्त भारत ही आप और हम जैसे देशवासियों की अपरिहार्य आवश्यकता है।

राम,गाँधी और शहीदों का नाम जपने से नहीं वरन् उनके बताये रास्ते पर चलने से ही सकारात्मक परिवर्तन संभव है। नाम जपना आसान होता है परन्तु मर्यादित होकर महानता के रास्ते पर चलना मुशकिल। इसलिये कुछ लोग गाँधी के नाम पर,कुछ राम के नाम पर और कुछ लोग शहीदों के नाम पर अपनी—अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने में पूरी तन्मयता से लगे हुए हैं। लेकिन दोष इनका नहीं है, आप और हम जैसे लोग भी कम मूर्ख नहीं हैं जो सबकुछ जानते हुए भी धर्म,जाति,क्षेत्र,भाषा,व्यक्ति,पार्टी,व्यवसाय और न जाने किस किस बात पर अपनी एकता का प्रदर्शन करते रहते हैं परन्तु देश के नाम पर एकता,उसका क्या?

हमारी देशभक्ति हमारे शब्दों तक दि

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गौरवपूर्ण,ईमानदार व जुझारू पत्रकारिता के लिए प्रधानमंत्री को पत्र

गौरवपूर्ण,ईमानदार व जुझारू पत्रकारिता के लिए प्रधानमंत्री को पत्र

माननीय प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री महोदय, सादर वन्दे मातरम्! मैं इस देश का / आपके प्रदेश का एक साधारण नागरिक हूँ तथा विगत डेढ़ दशक से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। मैं अपने इस पत्र के माध्यम से पत्रकारिता से जुडे एक बेहद अहम मसले को आपके ध्यान में लाना चाहता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप इस पत्र में दर्शाई गई ईमानदार व राष्ट्रभक्त पत्रकारों की पीड़ा को समझेंगे तथा सुझाए गये उपाय पर सकारात्मक कदम उठाकर न सिर्फ पत्रकारिता वरन् भारत देश के विकास को एक नई गति व दिशा देंगें।

महोदय, ‘पत्रकारिता’ व ‘राष्ट्रहित’ दो ऐसे शब्द हैं जो जितने अधिक महत्वपूर्ण हैं उनके प्रति उतनी ही कम प्रतिबद्धता हमारी लोकतांत्रिक सरकारों नें आजादी के दिन से आज तक दिखाई है। किसी भी सभ्य समाज में ‘पत्रकारिता’ की अपरिहार्यता व महत्व से कोई इनकार नहीं कर सकता है। सही मायनों में पत्रकारिता का जन्म ही समाज व लोकतंत्र के रक्षक के रूप में हुआ है। लेखन,प्रसारण संबंधी वे सभी गतिविधियाँ ‘पत्रकारिता’ कहलाती हैं जिनसे की समाज व लोकतंत्र की कमियाँ सामने आती हों तथा समाज को निरन्तर एक सकार