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महामारी का आना , हकीकत है या फसाना ? वैश्विक षड़यंत्र के विचारणीय संकेत

Written by स्वत्वाधिकारी,बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर on . Posted in विशेष संपादकीय आलेख

महामारी का आना , हकीकत है या फसाना ?  वैश्विक षड़यंत्र के विचारणीय संकेत

प्रिय देशवासियों!

कृपया नीचे दिए गए कुछ तथ्यों पर गौर फरमाना, यदि जवाब हों तो पूरे देश को बताना और यदि नहीं हो हमारे सुर में सुर मिलाना । सवाल जरूर उठाना और पूछना कि 'महामारी का आना, हकीकत है या फसाना । तथ्य कुछ इस प्रकार से हैं ————

 

1. रॉथ्स्चाईल्ड, रॉकफेलर, एंथनी फाउची, बिल गेट्स, जॉन हापकिंस यूनिवरसिटी, पीएचएफआई (पब्लिक हैल्थ फैडरेशन आफ इंण्डिया) का इस तथाकथित महामारी से क्या संबंध है ? इन लोगों व संस्थाओं पर गंभीर आरोप क्यों लगते रहे हैं ? क्या इन आरोपों में कोई सच्चाई है ? हमारे प्रधानमंत्री देश के वैज्ञानिकों की बजाय बिल गेट्स व डब्ल्यूएचओं के पिछलग्गू आखिर क्यों बने हुए हैं ?

 

2. ये ‘न्यू वर्ल्ड आर्डर’ क्या है जिसका जिक्र गाहे—बगाहे होता रहा है और प्रधानमंत्री मोदी ने भी जिसका जिक्र संसद में अपने भाषण के दौरान खुलेआम किया है वो भी ये कहते हुए कि ‘न्यू वर्ल्ड आर्डर’ आकार ले रहा है तथा कोरोना के बाद ‘न्यू वर्ल्ड आर्डर’ आना ही है, इसे कौन लीड करेगा ये वक्त बतायेगा ।
क्या आने वाले समय में भारत सहित विश्व के सभी विकासशील व अवि

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'मास्क ही बचाव है' नारा कहीं धोखा तो नहीं ?

Written by स्वत्वाधिकारी,बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर on . Posted in विशेष संपादकीय आलेख

'मास्क ही बचाव है' नारा कहीं धोखा तो नहीं ?

'मास्क ही बचाव है' नारा कहीं धोखा तो नहीं ?


कहीं मास्क का मकसद एक सामान्य बीमारी को महामारी में बदलना तो नहीं था ?


कोरोना के आते ही अरबों अरब एन—95 मास्क बिकवाने के बाद संदेहास्पद महामारी के 8 महीने गुजरते ही डब्ल्यूएचओ से लेकर लगभग सभी वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों ने यह स्वीकार करना प्रारम्भ कर दिया कि मास्क से वायरस रूक ही नहीं सकता क्योंकि उसकी पोर साईज वायरस के आकार से लगभग तीन गुना अधिक है।
बाद में कहा गया कि मास्क वायरस को नहीं रोकता परन्तु ड्रापलेट को रोकता है, मान लेते हैं परन्तु ड्रापलेट तो सिर्फ मरीज के खांसने व छींकने से ही निकल सकते हैं और अमेरिका के सीडीसी के अनुसार ऐसा कोई सबूत ही नहीं है कि कोरोना वायरस किसी सतह को छूने से फैल सकता है।
यदि अमेरिका का सीडीसी छूने से वायरस फैलने की पुष्टि नहीं कर रहा है तो फिर कुछ मरीजों के खांसने व छींकने से ड्रापलेट निकलने की आशंका दिखाकर देश के करीब 140 करोड़ लोगों पर मास्क की अनिवार्यता लादने का तथा 'मास्क ही बचाव है' नारे के भीषण प्रचार का आखिर औचित्य क्या है ? वैसे भी इसी कोरोना प्रोटोक

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कोरोना के भय को भुलाकर,ज्ञान का दीपक जलाएँ,स्वयं व देश दोनों को स्वस्थ बनाएं

Written by स्वत्वाधिकारी,बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर on . Posted in विशेष संपादकीय आलेख

कोरोना के भय को भुलाकर,ज्ञान का दीपक जलाएँ,स्वयं व देश दोनों को स्वस्थ बनाएं

देशभर में लोग भयभीत हैं, सारी बीमारियां भूलकर लोग कोरोना—कोरोना और सिर्फ कोरोना की बातें सुनकर सहमें हुए हैं। लोग कोरोना से कम और हमारे देश के स्वास्थ्य ढांचे की कुव्यवस्था से अधिक डरे हुए हैं। हर जगह लूट व अफरा तफरी का आलम है । इस लूट व अफरा तफरी के आलम में मैं आपको कुछ सुझाव व मार्गदर्शन देना चाह रहा हूँ। यद्पि मैं एक डॉक्टर नहीं हूँ परन्तु पत्रकारिता के कारण सम्पर्क में आए अनेक डॉक्टरों एवं विशेषज्ञों से प्राप्त ज्ञान के आधार पर इस संकट की घड़ी में आपका मार्गदर्शन करके मैं अपना कर्तव्य निभाना चाहता हूँ और इसी इच्छा से मैं यह पोस्ट लिख रहा हूँ। उम्मीद है यह पोस्ट आपके लिए 99.99 प्रतिशत उपयोगी होगी ।

कोरोना जैसे लक्षण होने पर या कोरोना पॉजिटिव होने पर अपनाया जाने वाला घरेलू एवं बेहद विश्वसनीय ईलाज———

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1. DIP Dite अर्थात् ( Disciplined and intelligent People Dite ) लें ।

Day-1......

मरीज का वजन ÷ 10 के बराबर गिलास नारियल पानी एवं मौसमी या पाइनएप्पल जूस। उदाहरण के लिए य

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जनता ध्यान दे एवं सरकारें जवाब

Written by स्वत्वाधिकारी,बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर on . Posted in विशेष संपादकीय आलेख

जनता ध्यान दे एवं सरकारें जवाब

क्या ????????


1. देश से भारी मात्रा में करीब 90 हजार मैट्रिक टन आक्सीजन देश से बाहर एक्सपोर्ट करके आक्सीजन की कृत्रिम कमी पैदा की गई, लाशों के अम्बार लगने पर पुन: देशहित में करीब 6 गुना कीमतों पर आक्सीजन इम्पोर्ट की गई, एक एक सांस को तड़पते मरीजों के परिजनों से आक्सीजन के नाम पर लूट मचाई जा रही है, इस लूट में लगभग सभी शामिल हैं,क्या नेता,क्या डॉक्टर,क्या अस्पताल,क्या मेडिकल माफिया,क्या मीडिया और क्या फॉर्मा ।

2. रेमडेसीमीर को अनावश्यक लूट की मंशा से जीवन रक्षक प्रचारित किया गया तथा इसकी भी कृत्रिम कमी पैदा कर लाचार मरीजों के परिजनों से एक—एक इंजेक्शन के 60—60 हजार रूपये वसूले गए हैं,वसूले जा रहे हैं और शायद वसूले जाते रहेगें जबकि एक साल पहले ही स्वयं डब्ल्यूएचओ ये कह चुका है कि कोविड—19 के इलाज में इस इंजेक्शन की कोई उपयोगिता ही नहीं है। इसे लेने वाले 90 प्रतिशत लोग शमशान पहुँच गए एवं जो 10 प्रतिशत बच गए वो गम्भीर साईड इफेक्ट्स से जूझते रहते हैं।

3. भारी जुर्माने व बीमारी का डर दिखाकर लोगों को नाक पर मास्क लगाकर अपनी सांस स्वयं ही

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'राजनीति' देश व समाज की अपरिहार्य आवश्यकता है

Written by अनिल यादव,सम्पादक,बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर on . Posted in विशेष संपादकीय आलेख

'राजनीति' देश व समाज की अपरिहार्य आवश्यकता है

''आप'राजनीति'कर रहे हैं,मत करो। विद्यार्थी राजनीति कर रहे हैं,मत करो। किसान राजनीति कर रहे हैं,मत करो'' आपने इस प्रकार की सलाह अक्सर सुनी होगी। इस सलाह को देने का तरीका कुछ इस प्रकार का होता है जिससे लगता है कि कुछ लोगों को छोड़कर यदि कोई भी व्यक्ति राजनीति कर रहा है तो वो गलत कर रहा है,उसे राजनीति करने का कोई हक नहीं है,राजनीति करके कोई पाप कर दिया है।

हमारी नज़र में 'राजनीति' देश व समाज की अपरिहार्य आवश्यकता है। समस्या 'राजनीति' नहीं है,समस्या है राजनीति शब्द का अर्थ। मेरे दृष्टिकोण में राजनीति शब्द के तीन अर्थ हैं

1. राज नीति ।

2. राज़ नीति !

3. राज्य नीति ।

नीचे बारी—बारी से राजनीति शब्द के इन तीनों अर्थों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है,आपकी राय का स्वागत रहेगा।

1. राजनीति शब्द का पहला अर्थ होता है— 'राज नीति '। यानी येन केन प्रकारेण जनता पर राज करने की योजना यानी साम्—दाम—दण्ड—भेद किसी भी प्रकार से जनता पर राज कायम रखने का हर सम्भव प्रयास राज नीति कहा जा सकता है पिछले कुछ दशकों से अधिकांश लोग राजनीति शब्द का प्रयोग मुख